Ganesh Chaturthi 2024: जानिए गणपति स्थापना की विधि, शुभ मुहूर्त और पूजन का महत्व
Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक खास पर्व है जिसे भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता (विघ्न दूर करने वाले) और प्रथमपूज्य (सबसे पहले पूजे जाने वाले) देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था।
इस पर्व को खासतौर से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर भक्त अपने घरों और पंडालों में गणपति की मूर्ति की स्थापना (Ganesh Chaturthi 2024 Sthapana muhurat) करते हैं और 10 दिनों तक विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं।
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गणपति स्थापना की विधि (Ganesh Chaturthi Sthapana Vidhi)
गणपति की मूर्ति स्थापना (Ganesh Chaturthi Sthapana Vidhi) का कार्य बहुत ही श्रद्धा और नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए। यहां हम गणपति स्थापना की पूरी विधि बता रहे हैं।
- सबसे पहले, जहां मूर्ति स्थापित करनी है, उस स्थान की साफ-सफाई करें। पूजा स्थल को गंगाजल या साफ पानी से पवित्र कर लें।
- पूजा के लिए एक चौकी लें और उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। यह कपड़ा भगवान गणेश के लिए शुभ माना जाता है।
- चौकी के बीच में गणपति की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति की स्थापना उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें। गणपति की मूर्ति के पास एक जल से भरा हुआ कलश रखें, जिसमें आम के पत्ते और नारियल रखें।
- मूर्ति के चारों ओर नवग्रह (9 छोटे पत्थर या अंकुर) स्थापित करें। यह विधि गणेश पूजा में शुभता का प्रतीक मानी जाती है।
- गणपति को दूर्वा, मोदक, लड्डू, फल, फूल, धूप, दीप, कुमकुम, हल्दी आदि चढ़ाएं। भगवान गणेश को खास रूप से दूर्वा और मोदक पसंद होते हैं।
- पूजा के दौरान गणेश चालीसा, गणेश स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद धूप-दीप जलाकर भगवान की आरती करें। “वक्रतुंड महाकाय” और “ॐ गण गणपतये नमः” जैसे मंत्रों का जाप करना अति शुभ माना जाता है।
- पूजा के बाद भक्तों के बीच प्रसाद (मोदक, लड्डू, फल) बांटे। गणपति पूजा में मोदक का खास महत्व है क्योंकि यह गणेश जी का प्रिय मिष्ठान्न माना जाता है।
गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त (Ganesh sthapana muhurat)
इस वर्ष गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को मनाई जा रही है। इस दिन गणपति की मूर्ति स्थापना (Ganesh sthapana muhurat) के लिए सबसे शुभ समय सुबह 11:15 बजे से दोपहर 01:43 बजे तक है। इस समय के भीतर गणपति की मूर्ति स्थापित करना और पूजा करना अति शुभ फलदायक माना जाता है।
इसके अलावा, यदि आप सुबह जल्दी पूजा करना चाहते हैं, तो सुबह 7:36 से 9:10 बजे तक का समय भी शुभ माना जाता है। यदि दोपहर में पूजा करना संभव न हो, तो आप दोपहर 1:53 से 3:27 बजे तक के समय में भी गणपति स्थापना कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी का उत्सव (Ganesh Chaturthi Utsav)
गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों का गणेश उत्सव चलता है। इस दौरान घरों और पंडालों में रोजाना गणपति की पूजा होती है। उत्सव के अंतिम दिन, यानी अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन होता है। विसर्जन के समय भक्त गणपति बप्पा से अगले वर्ष जल्दी आने की कामना करते हैं और “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आना” के जयकारे लगाते हैं। विसर्जन की प्रक्रिया में भी शुद्धता और श्रद्धा का खास ध्यान रखना चाहिए।
गणेश चतुर्थी पर क्या नहीं करें?
गणेश चतुर्थी के दिन मूली, लहसुन, प्याज, और मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है। साथ ही, इस दिन भूलकर भी खंडित मूर्ति की स्थापना न करें। भगवान गणेश को तुलसी और केतकी के फूल न चढ़ाएं क्योंकि ये उन्हें प्रिय नहीं हैं।